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आज भी इश्क की लौ, सीने में जलती होगी आज भी महावर लगे पांव, वो | हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

आज भी इश्क की लौ, सीने में जलती होगी
आज भी महावर लगे पांव, वो चलती होगी

आज भी जुड़े में, लगाती होगी हाथों से गजरा
या आज भी, हाथों की मेरे कमी खलती होगी

करती होगी अठखेलियां तितलियों संग जब
कभी सहेलियों संग, चर्चा मेरी करती होगी

लिखती होगी आज भी, दीवारों पर नाम मेरा
या याद कर मुझे, आंखे वो नम करती होगी

पाकर साथ सजन का वो, अब भूल गई होगी
या बिछोह में इश्क के, तन्हा आहें भरती होगी

खिलखिलाती थी तन्हा, चांदनी रातों में वो
याद मुझे कर शायद, चांद से वो लड़ती होगी

उमेश कुमार,,,

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