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स्त्री पूरी चेतना से प्रेम करती है, उसकी अपेक्षाओं का भंग हो स | हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

स्त्री पूरी चेतना से प्रेम करती है, उसकी अपेक्षाओं का भंग हो सकता है पर उसके प्रेम का नहीं, पुरुष अचेतन मन से प्रेम करता है बनाता है अपेक्षाओं की ईट से प्रेम महल , अपेक्षा भंग होने पर होता है उसका प्रेम भंग। प्रेम महल फिर उसे खंडर नजर आता है। और वो स्त्री उस खंडर में भी घर ढूंढती है

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