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रिटायरमेंट लघुकथा 'निवेदिता आज युवी नहीं उठा, ठीक तो है | हिंदी मंच - सकारात्मक भाव

रिटायरमेंट लघुकथा
"निवेदिता आज युवी नहीं उठा, ठीक तो है ना , रात को ठीक से सोया था ना।"अर्चना ने बहू के कमरे के गेट पर आकर पूछा।
" हां मम्मी, बिल्कुल ठीक है।" निवेदिता ने कहा।
" फिर उठाओ इसको , लो आज मैं तैयार कर देती हूं।" अर्चना ने कहा। "मम्मी उठ जाएगा आराम से, फिर आप नहला लेना जब आपका जी करें। अब तो दादी पोता मस्ती करना।" निवेदिता ने थोड़ा चहकते हुए कहा।
" पर इसका करच–----- "अर्चना ने थोड़ा रुकते हुए से एक तरह से पूछा।
" मम्मी वह तो मैं और विनोद कल ही मना कर आए थे करच वाली आंटी को। आपकी रिटायरमेंट तो इसके लिए तोहफा है।पढ़ी-लिखी स्मार्ट दादी के साथ यह भी स्मार्ट हो जाएगा। विनोद तो कब से इस दिन का इंतजार कर रहा था।" यह कहते हुए निवेदिता अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गई।
"निवेदिता जल्दी करो , लेट हो रहे हैं।" विनोद ने गाड़ी की चाबी उठाते हुए कहा।
"विनोद पाँच मिनट बस, युवी की सूजी की खीर बना दूं।" निवेदिता ने किचन से ही कहा।
"तुम छोड़ो यह सब, मम्मी से अच्छी नहीं तुम बना सकती। बस आ जाओ।" विनोद ने वहीं से कहा।
फिर अर्चना की ओर मुड़कर बोला," मम्मी इस सर्दी में तो सरसों का साग खाया ही नहीं। आज शाम को वहीं खाएंगे।" विनोद ने मां को लाड से में कहा।
" पर साग तो हम कल लाए ही नहीं सब्जी में ।" निवेदिता बोली।
" तुम इसकी चिंता मत करो , यह मेरी मां बड़ी एफिशिएंट है। इसने नौकरी के साथ साथ हमें भी पाला , बड़ी कुशलता से घर भी संभाला और हमें तरह-तरह के पकवान भी बनाकर खिलाएं।" विनोद ने निवेदिता को जतलाते हुए से कहा और बाहर निकल लिया।
अर्चना सोच रही थी क्या यही रिटायरमेंट है?
डॉ अंजना गर्ग

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