अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम, ख़ुद को समेटते हैं यह | Beautiful shayari..❤️ beautiful day..❤️
अब क्या बताएँ टूटे हैं कितने कहाँ से हम,
ख़ुद को समेटते हैं यहाँ से वहाँ से हम।
क्या जाने किस जहाँ में मिलेगा हमें सुकून,
नाराज़ हैं ज़मीं से ख़फ़ा आसमाँ से हम ॥