बाज़ार को चुपचाप बैठे देखते जाओ तो कभी ऊब नहीं होती। दृश्य का छोटे-से-छोटे टुकड़ा भी कितना परिवर्तनशील होता है। हर निगाह जो उठती है तो नया चेहरा देखकर ही लौटती है। - शानी 13.2K views14:48