2021-05-08 22:45:56
आज तक ऐसा कलम ही नही बना जो माँ के बारे में कुछ लिख सके,,और आज तक कोई ऐसा शब्द ही नही बना जो माँ और ममता को 'जता/दर्शा' सके,,और आज तक वो लेखक और कवि नही हुआ जो माँ पर कुछ कह सके।।
लेकिन फिर भी मैं 'गोलू' एक छोटी सी कोशिश करता हूँ कि 'माँ और ममता' को शब्दों को बयां कर सकूं।।
शीर्षक: माँ और ममता ।।
कैसे तुझे बताऊं माँ
कैसे तेरे ममता को,,
मैं शब्दों में दिखलाऊँ माँ।।
त्याग की मूरत है तू
माँ दुर्गा की सूरत है तू ।।
माँ तू मेरी शान है,,ममता की तू खान है,,
हमारे खातिर 'माँ' तुमने किया बहुत बलिदान है,,
कहने में हिचकिचाहट होती नही हमको,,,
की,,माँ तू ही मेरी पहचान है,,माँ तू ही मेरी पहचान है।।
हर हाथ का 'स्पर्श' तेरा एहसास हो नही सकता
रो रहा एक बच्चा हर एक गोद मे भी सो नही सकता ,,
माँ तेरा कर्ज़ा अब कभी भी चूक नही सकता
अटूट संबंध है मेरा साथ तेरे जो अब कभी भी टूट नही सकता।।
कैसे तुझे बताऊं माँ
कैसे तुझे जताऊं माँ
कैसे तेरे ममता को मैं शब्दों में 'दिखलाऊँ' माँ।।
स्वरचित----
गोलू चौहान
37 viewsGoLu ChAuHaN, 19:45