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सच्ची स्वतंत्रता ओम शांति। आज 72 गणतंत्र दिवस की सभी को ब | BK Shivani Motivation

सच्ची स्वतंत्रता

ओम शांति।

आज 72 गणतंत्र दिवस की सभी को बहुत-बहुत बधाई हो मुबारक हो। अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र होकर भारत देश आज एक उन्नति के शिखर पर खड़ा है। भारत देश आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाता जा रहा है। देश की सुरक्षा के बारे में देखा जाए तो। भारत के पास सैन्य बल शस्त्र बल और आधुनिक साधन और शास्त्र सामग्री से भरपूर है। सुरक्षा व्यवस्था प्रभावी रीति से कार्य कर रही है। हवाई जहाज ,नौसेना, मिलिट्री फोर्स तीव्र गति से अपना कार्य कर रही है।


साइंस के युग में दिन प्रतिदिन नई-नई इन्वेशन द्वारा साधनों की बहुत तरक्की हो रही है। मोबाइल इंटरनेट, एयर कंडीशन, विमान आदि अनेक प्रकार के आधुनिक साधनो से आज मनुष्य चांद से लेकर सभी ग्रहों तक पहुंचा है।अनेक प्रकार की सुख के साधन मनुष्य के पास उपलब्ध है। लेकिन आज मनुष्य सच्ची सुख और शांति से बहुत दूर होता जा रहा है।


जनसंख्या की वृद्धि के कारण पर्यावरण में प्रदूषण हो चुका है हवा , पानी दूषित होती जा रही है। बढ़ती आबादी के कारण सभी को रहने का स्थान और खाने पीने की साधन सामग्री में कठिनाई आ रही है,इसी कारण हर चीज में मिलावट हो रही है। दिन प्रतिदिन बीमारियां बढ़ती जा रही है।


मेडिकल क्षेत्र में इतनी इन्वेंशन होने के बावजूद भी बढ़ती हुई बीमारियों का कोई इलाज नहीं। दिन प्रतिदिन दुख अशांति तनाव, टेंशन , बेरोजगारी है। जाति धर्म के नाम पर लड़ाई झगड़े बढ़ते जा रहै है। इन सब का एक ही कारण है।


आज मनुष्य अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र है लेकिन माया के पांच विकारों के गुलामी में बंधा हुआ होने कारण सच्ची स्वतंत्रता और सुख शान्ति, का अनुभव नहीं कर कर पा रहा है काम, क्रोध ,लोभ , मोह ,अहंकार की गुलामी के कारण आज मनुष्य आत्मा कर्मेंद्रियों का गुलाम हो चुका है।


जो चीज शरीर को हानिकारक है। शराब , सिगरेट तंबाकू परवश होकर खा पी रहा है। यह भारत भूमि देवी देवताओं की भूमि है। यहां पर रामराज्य था सभी लोग सुखी थे। सब प्रकार के वैभव हीरे ,जवाहरात , पुष्पक विमान सब प्रकार के सुख साधन थे।

आत्मा शरीर की मालिक थी कर्मेंद्रियों की मालिक थी। मन की मालिक थी। लेकिन आज कलयुग में आत्मा का राज्य नहीं है।कर्मेंद्रियां राज्य चला रही है। आत्मा गुलाम है। जैसे कि जो चीज डॉक्टर ने खाने को मना किया है लेकिन मुख के स्वाद के गुलाम होकर खा लेते है।


आत्मा कर्मेंद्रियों के अधीन होने के कारण उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। आत्मा मन का मालिक था। लेकिन आज वह मन का गुलाम हो चुका है। मन भटक रहा है। इसीलिए चिंता, तनाव, डिप्रेशन की बीमारी बढ़ती जा रही है। मन मानता नहीं, मन एकाग्र होता नहीं। पढ़ाई में , ध्यान में मन लगता नहीं।क्योंकि मन मालिक हो गया है और आत्मा गुलाम बन चुकी है।



वर्तमान समय हम सभी आत्माओं के पिता परमात्मा शिव गीता ज्ञान और राजयोग सिखा कर कर्मेंद्रियों की गुलामी से और माया की गुलामी से छुड़ा रहे है। मनुष्य आत्मा को सभी बंधनों से मुक्त कर मुक्ति और जीवन मुक्ति देने के लिए आए हैं।


पतित मनुष्य को राजयोग के बल से पावन देवता बना रहे हैं। आप आकर अनुभव करें और माया की गुलामी से मुक्त होकर जीवन मुक्ति का वरदान प्राप्त करें। अपने जीवन को खुशहाल बनाएं अधिक जानकारी के लिए ब्रह्माकुमारी सेंटर में जाकर लाभ ले सकते हैं। या ऑनलाइन कोर्स (@rajyoga7days) करके ग्रुप से जुड़े रहे।