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Life Changing Videos & Quotes of Sister BK Shivani
On Godly Service 💐🇲🇰
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नवीनतम संदेश
2024-04-15 09:30:36
Pause during the day and repeat “I am a wise being. At every moment … in every scene today … I have choices of how to respond to every situation… to every person’s behaviour. I do not live on auto pilot mode … My response is my choice. I always make the right choice.”
13.7K views06:30
2024-04-03 08:02:16
Achhi Mental & Physical Health ke liye
1 konsa food khaye ?
2 kitchen kaisa ho ?
3 bhojan kab na khayen?
4 Bhojan karte time kin baato ka dhyan rakhe ?
5 bhojan banate time kin baato ka dhyan rakhe ?
12.9K views05:02
2024-02-23 07:35:10
ओवर थिंकिंग से कैसे बचे ?
13.4K views04:35
2024-02-21 12:47:51
New Animation Movieभक्त और भगवानBhakt Aur Bhagwanयह फिल्म AI टेक्नोलॉजी से बनाई गई है।
13.4K views09:47
2024-02-19 11:52:57
12.6K views08:52
2024-01-22 09:53:23
Today is an auspicious day to establish a temple of truth in each of our homes. A life in which divinity and values are ingrained in every aspect is what it means to build a temple of truth.
A life of simplicity, harmony in relationships, love for all people, and truthfulness in speech and deeds.
13.0K viewsedited 06:53
2024-01-14 11:33:53
मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है... इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं ... वास्तव में स्थूल परम्पराओं में आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं ...
अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है ... सारी मानवता दुखी-अशांत हैं ... हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं ... सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं ... ऐसे समय में विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग ... सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रह्मा के तन में आ चुके हैं ... जिस प्रकार भक्ति मार्ग में पुरुषोत्तम मास में दान-पुण्य आदि का महत्व होता है ... उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग ... जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से ... पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है ..
. इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं ... इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों में आसुरियता की मिलावट हो चुकी है ... अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं ... जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं ... इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोडकर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है ... जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है ...
परमात्मा की अभी आज्ञा है कि तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी हमें तिलांजलि देना है ... जैसे उस गंगा में भाव-कुभाव से ज़ोर जबरदस्ती से एक दो को नहलाकर खुश होते हैं और शुभ मानते हैं; इसी प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा में नहलाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का मार्ग दिखाना है ... जैसे जब नयी फसल आती है तो सभी खुशियाँ मनाते हैं ... इसी प्रकार वास्तविक और अविनाशी खुशी प्राप्त होती है ... बुराइयों का त्याग करने से ...
फसल कटाई का समय देशी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने के 12 ...13 ... 14 जनवरी को आता है ... इस समय एक सूर्य राशि से दूसरी राशि में जाता है ... इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है ... अर्थात एक दशा से दूसरी दशा में जाने का समय ... यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ में घटता है ... इस संक्रमण काल में ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं ... वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन में अवतरित होते हैं ...
संसार में अनेक क्रांतियाँ हुई ... हर क्रांति के पीछे उद्देश्य-परिवर्तन रहा है ... हथियारों के बल पर जो क्रांतियाँ हुई उनसे आंशिक परिवर्तन तो हुआ ... किन्तु सम्पूर्ण परिवर्तन को आज मनुष्य तरस रहा है ... सतयुग में खुशी का आधार अभी का संस्कार परिवर्तन है ... इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई ... संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार में मनाया जाता है ..._ 1) स्नान :ब्रह्म मुहूर्त में उठ स्नान ... ज्ञान स्नान का यादगार है ..._
2)
तिल खाना : _तिल खाना ... खिलाना ... दान करने का भी रहस्य है ... वास्तव में छोटी चीज़ की तुलना तिल से की गयी है ... आत्मा भी अति सूक्ष्म है ... अर्थात तिल आत्म स्वरूप में टिकने का यादगार है ..._
3)
पतंग उड़ाना :_आत्मा हल्की हो तो उड़ने लगती है; देहभान वाला उड़ नहीं सकता है ... जबकि आत्माभिमानी अपनी डोर भगवान को देकर तीनों लोकों की सैर कर सकता है ..._
4)
तिल के लड्डू खाना : _तिल को अलग खाओ तो कड़वा महसूस होता है ... अर्थात अकेले में भारीपन का अनुभव होता है ... लड्डू एकता एवं मिठास का भी प्रतीक है ..._
5)
तिल का दान :_दान देने से भाग्य बनता है ... अतः वर्तमान संगमयुग में हमें परमात्मा को अपनी छोटी कमज़ोरी का भी दान देना है ..._
6)
आग जलाना : _अग्नि में डालने से चीज़ें पूरी तरह बदल जाती ... सामूहिक आग - योगीजन संगठित होकर एक ही स्मृति से ईश्वर की स्मृति मे टिकते हैं ... जिसके द्वारा न केवल उनके जन्म-जन्म के विकर्म भस्म होते हैं ... बल्कि उनकी याद की किरणें समस्त विश्व में फाइल कर शांति ... पवित्रता ... आनंद ... प्रेम ... शक्ति की तरंगे फैलाती हैं ..._
यदि इस पर्व को निम्नलिखित विधि द्वारा मनाए तो न केवल हमें सच्चे सुख की प्राप्ति होगी बल्कि हम परमात्म दुआओं के भी अधिकारी बनेंगे ...
आप सबको इस महान पर्व मकर सक्रांति की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ ...
13.8K views08:33
2024-01-13 17:00:31
15 मिनट मेडिटेशन कमेंट्री बीके सिस्टर शिवानी की आवाज में
13.4K views14:00
2024-01-08 10:16:08
सभी अपनी यात्रा पर है । हम कोई रेस नही कर रहे है। दूसरो से तुलना न करे। दूसरो को सहयोग दे और हर पल आगे आगे बढ़े ।
“I am a LOVEFUL BEING.
I am not in a race with anyone
I am on the journey of my life
Living my way.. as per my values
I get what I deserve as per my karmas
I don’t compare, I don’t compete.
We are co-travellers ... Sharing, Caring And Co-operation are my ways of living.”
13.0K views07:16
2024-01-06 18:03:20
13.1K views15:03