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Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya — Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy B
टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya — Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
चैनल का पता: @brahmacharya
श्रेणियाँ: मनोविज्ञान , गूढ़ विद्या
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 33.31K
चैनल से विवरण

Brahmacharya ,The Vital Power
ब्रह्मचर्य पालन के लिए इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ा चैनल

#Celibacy
#ब्रह्मचर्य
#meditation
#yoga
#Brahmacharya
#health
#Motivation
#LifeStyle

Ratings & Reviews

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नवीनतम संदेश 3

2023-10-09 17:58:05
13.1K views14:58
ओपन / कमेंट
2023-10-07 03:47:01 नाम - ब्रह्मचर्य साधना
लेखक - श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती
अनुवादक - श्री स्वामी दिव्यानन्द सरस्वती
कुल पृष्ठ - 237
भाषा - हिन्दी



Join T.me/brahmacharya
13.0K views00:47
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2023-10-04 12:41:46
जीवन में जब सिर्फ
एक चाह बड़ी होती है
सफलता इसी राह में



बाँहे खोले खड़ी होती है
...


जी हां साथियों एक ही विचार में पूरी तरह तन्मय होकर , नस नस को उस विचार में पूरी तरह डुबो देने पर ही हम सफलता अर्जित कर पाते हैं और ब्रह्मचर्य के पथ पर चलने का यही जोश, यही जुनून हमें बहुत आगे लेकर जाता है। यही हमारे सुख, शांति, शक्ति और संयम का कारण है।

अतः सदैव अपने वीर्य की रक्षा करे। महान कर्तव्य पालन में ही उसका सदुपयोग करे...

Because जो वीर्यवान है वही वीर है, और वीरता सिंह की पहचान है। और माँ दुर्गा सिंह पर सवार होती है..

अतः सदैव याद रखिये
वीर्य यानी जवानी
औऱ जवानी मतलब "भवानी"...


http://T.me/brahmacharya


अतःओनली ONE share For Great vibes...

                      
13.0K viewsedited  09:41
ओपन / कमेंट
2023-10-02 09:54:10
गांधी जी कि आत्मकथा "में
" ब्रह्मचर्य से जुड़े मुख्य विचार, जो हर युवा को जानना ही चाहिए। ताकि वह यह समझ सके, कि
""मोहन से गांधी ""तक कि यात्रा ब्रह्मचर्य, त्याग और संयम बिना
सम्भव नही थी।
ब्रह्मचर्य का सीधा सम्बन्ध तन व मन कि पवित्रता से है। जितने ज्यादा ब्रह्नचारी युवा होंगे इसका सीधा सा अर्थ होगा, कि
उनका मन कामुकता और अश्लील विचारो से स्वतंत्र है। और जितना अधिक मन साफ और पवित्र है। उतने अधिक अच्छे कर्म और नारी का सम्मान स्वतः समाज मे होगा
अर्थात नारी सुरक्षा व नारी सम्मान में व्रद्धि का सीधा सम्बन्ध ब्रह्चर्य पालन से है।
अतः आज ही से प्रतिज्ञा करे। कि
न तो गलत देखेंगे।
न गलत बोलेंगे
न गलत सोचेंगे

पूरी तन मन और आत्मा के हर सम्भव प्रयास से शुद्ध ही सोचेंगे। जिह्वा से अच्छे विचार ही कहेंगे।
यदि ऐसा एक एक युवा करता है,तो आश्चर्य नही, कि आने वाले कुछ सालों में भारत का युवा पूरी तरह बदल जायेगा।
और हर नारी स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगी।
यही तो है,हमारे सपनो का भारत।
क्या ये आप नही चाहते। यदि चाहते है,तो
सिर्फ एक शेयर कीजिये।
चेन रुकने न दीजिये।
बस इतना काफी है
जयमातादी
T.me/brahmacharya
12.9K views06:54
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2023-09-29 11:20:02 पढ़ाई करते समय गंदे विचार आए तो कैसे रोकें

अग्निदेव आर्य
12.7K views08:20
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2023-09-23 07:26:41 The Poem:
उसकी आँखें मुझको देख रही है...


हां उसकी आँखें मुझको देख रही है
मौन लबो से भी कुछ बोल रही है
क्या हुआ भारत माँ के पुत्रों को
उनके चरित्र को वह तोल रही है...


शरीर जीवित नही आज उसका
बलात्कार में  वह नष्ट हुआ
नोचा उसे कामी कुत्तों ने
और यौवन उसका भृष्ट किया..

लेकिन तस्वीर से उसकी सामना होता रहता है
संवाद आत्माओं का होता रहता है
ज़्यादा कुछ तो नही कहती है वो
पर दिल उसका अब भी रोता रहता है...


सहोदर नही थी पर बहन हमारी है
मरने के बाद बनी जान से प्यारी है
जो जीवित है अब हमें उन्हें बचाना है
मुश्किल में आज भी लाखों बेचारी है..

वो कहती है कि भैया
क्यों भोगों में बहकर निराश पड़े हो
योद्धा कौन है ऐसे जो हताश लड़े हो
निकलों अब इन विकारो के जंजाल से
बहुत गिर गए अब तो खड़े हो...

ज़िंदा लोगो की नही मानी तुमने
तो "अशरीरी" की मान लो
इन नश्वर उत्तेजनाओं में कुछ नही है
मेरी यह शिक्षा अच्छे से तुम जान लो...

एक संवेदनशील अंग के वहशीपन ने
देखों मेरा यह हाल बनाया है
कहाँ पूजते है वे नारी को
बस उन्होंने भोग का माल बनाया है..

मात्र क्षणिक आवेग ने ही
किसी माँ के बेटे को दरिंदा बना दिया
भूल गए वे किसी बहन के भाई है
और देखों मेरी मौत का फंदा बना दिया..


अच्छा भाई तुम बताओ
तुम्हें मैं कैसी लगती हूँ ?
पहले ख़ुद को मैं रमती थी
पर अब नही सजती हूँ..

उघड़ी हुई मेरी निजता है
कहाँ कुछ भी अब जँचता है
जिसे मैं छिपाती थी बड़े ध्यान से
वह तन भी अब नही दिखता है..

अर्धनग्न शरीर है मेरा
गुप्तांग भी निर्वस्त्र हुए
वासना युक्त निर्मम प्राणी के
अंग अंग मेरी म्रत्यु के शस्त्र हुए..

आत्मा तो मेरी पहले ही मार चुके थे
तन को फिर उन्होंने जलाया था
भैया क्या बीती है मुझ पर तब
मेरा रोम रोम चिल्लाया था..

बोल रही है तुम्हारे शब्दों के ज़रिए
न चाहते हुए जो जीवन से हारी है
भाई मैं कोई अकेली नही हूँ
मेरे साथ यह भीड़ बड़ी सारी है..

हां उसकी आँखें मुझको देख रही है
मौन लबो से भी कुछ बोल रही है
क्या हुआ भारत के माँ पुत्रों को
उनके चरित्र को  वह तोल रही है..

वो कहती है कि,
भाई तुम लिखते चलो
अब मैं तुमको सब लिखवाऊंगी
क्या हम सारी बहने चाहती
वो हर बात बताऊंगी...


मत झिझकों तुम
अब कलम यूँ ही चलने देना
जग को मोड़ने की चाह तुम्हारी है
इस स्वप्न को अनवरत पलने देना...

छिपा नही किसी से कुछ भी
इस स्मार्ट फोन की दुनिया में
कोने कोने का युवा इन भोगो को जान बैठा है
गलती हुई पर यह इतनी बड़ी नही
जितना इस भृम को सच मान बैठा है..

साथ ही अब तुम खुद पर काम करो
खाकर के ठोकर यूँ न विश्राम करो...

भैया इन गूढ़ रहस्यों को तुम जान लो
हमारी आशीष सदा तुम पर यह मान लो..

अपने वचनों पर सम्भलकर चलने में
भैया थोड़ा तो वक़्त लगता है
लोग सफलता के लिए पसीना बहाते है
तुम्हारी महानता के लिये रक्त लगता है..

गिर जाना कोई हार नही
बिना लड़े तो जय जयकार नही
अपनी बहनो के दर्द को समझो
व्यर्थ हमारा यह चीत्कार नही...


अब चलती हूं भैया
अभी के लिये इतना काफी है
जिसका सन्कल्प हो नारी सुरक्षा का
उसकी हज़ारो गलतियों को माफी है..

बस अब तुम रुकना नही
मन के सामने फिर झुकना नही
पानी की तरह इसे नीचे बहना आता है
पर तुम तो अनन्त हो भैया
काम क्रोध का वेग तुम्हें सहना आता है..

अब उठो तुम और सफलता की आस करो
पक्का तुम खुद संग ईश्वर पर विश्वास करो
दी है अनन्त सामर्थ्य तुमको उन्होंने
इसीलिये अब

फिर सच्चा प्रयास करो...!
फिर सच्चा प्रयास करो...!


 धन्यवाद
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शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों एक महान विचारक ने कहा है, कि किसी राष्ट्र को यदि  बिना युद्ध किये ही हराना हो। तो उनकी युवा पीढ़ी में "व्यभिचार और अश्लीलता" को फैला दो। चरित्र से गिरा हुआ राष्ट्र खुद ही गर्त में चला जाएगा

आज जिस तरह देश में चहुँ ओर मासूम युवाओं के लिये distractions बढे है। ऐसे में सामाजिक अपराध में भी वृद्धि होती है। गलत संगति युवाओं का तो नाश करती ही है, लेकिन उनकी तृष्णाएं किसी मासूम का जीवन भी राख में मिला देती है।

आज स्मार्टफोन की दुनिया में किसी से कुछ भी छिपा नही है। लेकिन कुछ छिप जाता है, तो वह वो दर्द है। जो सम्भवतः "बलात्कार से पीड़ित महिलाएं म्रत्यु के साथ" छिपा ले जाती है।
इस संवेदनशील  कविता के भीतर उसी अदृश्य दर्द को महसूस कराने का प्रयास किया है। ताकि हम समाज को और भी अधिक पवित्र बना सके।
क्योंकि समाज में अपराध रोकने का कार्य सिर्फ न्यायपालिका, प्रशासन, और सरकार के अकेले
का नही है । बल्कि एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में बेहतर मानसिकता की स्थापना के लिये यह दायित्व हमें भी निभाना होगा । यदि यह कविता आपके ह्रदय को स्पर्श करती है, तो इसे अपने एक साथी को ज़रूर शेयर करें। आपका प्रत्येक शेयर किसी व्यक्ति की मानसिकता को बदल सकता है...

ओनली One शेयर For Beautiful society...


                 
12.8K viewsedited  04:26
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2023-09-19 07:15:24
गणेश चतुर्थी का महत्व
12.8K views04:15
ओपन / कमेंट
2023-09-13 04:27:43
शरीर की वास्तविकता ये है ,इस पर मोहित होना बहुत बड़ी भूल है !

स्त्री भी पुरुषो को इसी दृष्टि से देखे अगर काम विकार जागे तो

देह की हकीकत समझना जरूरी है क्योंकि सिनेमा , मूवीज ने पर्दा डाल दिया है जो इस मिट्टी की असलियत से हमे भटकाता है और हम अपना समय ,ऊर्जा वेस्ट कर देते है और पछताते है ।

देह में मल ,मूत्र , कफ ,हड़िया , खून के सिवाय कुछ नही है । उस पर मोहित होकर अपने लक्ष्य से भटक जाना किसी मूर्खता से कम नही है।

पूरा लेख पढ़ने के लिए ज्वाइन करे
t.me/brahmacharya
13.6K views01:27
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2023-06-05 06:13:39 The Poem: हमारी "माँ" प्रकृति





प्रतिक्षण सूरज तो जल कर भी
भर भर देता हमे उजाला है
ठंड में जब कुड़ कुड़ हांड कंपे
तब मिहिर ताप ने संभाला है...

चांद भी कुछ कम तो नही है
उसकी शीतलता हमें सुहाती है
करवा चौथ जब आता है तो
सुहागनें  दर्शन उसके चाहती है...

सागर भी तो नदियो को विविध
गहरे अंतर मे ही अपने समाता है
मिलजुलकर रहना सीखो
सहिष्णुता का वो राज़  बताता  है...

पर्वत भी अविचल से स्थित होकर
हमे रहना अटल सीखाते है
जो होते है शांत और गम्भीर
जगत में वही उत्तम फल पाते है


सरिताएं भी बहुत बड़ी दानी है
मीठा पानी सबको करती वितरण
और मार्ग बनालेती  खुदका
ऐसी बड़ी स्वाभिमानी है

दरिया भी खुद्दार बड़े है
मार्ग स्वयं का खुद बनाते है
सतत रूप से बस बढ़ना है आगे
आत्मनिर्भरता का ही गीत सुनाते है

कुसुम जैसे तुम खिलना  सीखो
और गुंजन भँवरो का तुम्हें चुराना है
वर्तमान को जी भर के जी लो
भुलादो वो किस्सा,
जो हो चुका पुराना है


भूमि में अन्न का उत्पादन होता
अनाज से सबका
उदर यह भरती है
रासायनिक कीटनाशक अच्छे नही है
इनसे संकट में हमारी  धरती है...

जीव जन्तु भी शोभा है इसकीं
रक्षण करके उनका
हमे अपना दायित्व निभाना है
पृकृती का ध्यान रखकर ही
जैव विविधता को बचाना है...

हरियाली है फसलों से यहाँ और
मीठे जल की नदियां
कल कल कर है बहती
रखना होगा ध्यान हमें
सम्भल पाएगी तभी पृकृती

शीतल जल से लेकर प्राणवायु तक
माँ पृकृति  हमे उपलब्ध कराती है
संसाधनों से भरकर झोली हमारी
अपनी ममता हम पर लुटाती है

अंधाधुंध  प्रगति पथ की आड़ में
पृकृती को नज़रंदाज़ नही करना है
सम्विधान के कर्तव्य से अधिकार तक
पर्यावरण का आदर हमको करना है..


धारणीय विकास की ज्योत जलाकर
भोगवादी संस्कृति को आग लगाकर
वृक्ष एक एक हमे बचाना है
स्वच्छ पर्यावरण सिर्फ खुद को नही
बल्कि भावी पीढ़ी को दिलाना है...

चाह रखते तो है, सभी भानु सा चमकने की पर कौन उसकी तरह जलना चाहता है
बाधा रूपी बादल तो आएंगे ही
पर कौन धीरज धर चलना चाहता है


भास्कर का यह नियम जो अपनाएगा
वही एक दिन ऑस्कर से भी आगे जाएगा
अतः
चलते रहिये नदी की तरह
और जलते रहिये सूरज की तरह


फितरत जो हमारी ऐसे बदलेगी
और आदतें जब सुधर जाएंगी
तब आएगा मनोवृति में परिवर्तन
और 
यह पृकृती भी निखर जाएगी

यह पृकृती भी निखर जाएगी




                धन्यवाद


शिक्षा:-
प्यारे युवा साथियों पृकृती हमारी माता की तरह हमारा लालन पालन करती है। हमें स्वच्छ हवा और निर्मल जल देती है। किंतु उसके संरक्षण और सतत विकास के अभाव में आज विश्व पर जीवन का संकट मंडराने लगा है।

ऐसे मैं हम सभी जितना अधिक हो सके पर्यावरण के प्रति सजग रहेंगे। और यह पृकृती रक्षा का गुण ख़ुद में धारण करते हुए, एक व्यक्ति को जागरूक अवश्य करेंगे...

जॉइन soon:-
@brahmacharya

So ONLY ONE शेयर FOR GREEN vibes...
पर्यावरण हमारी जिम्मेदारी है
अब आपकी बारी



2.2K viewsedited  03:13
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2023-06-05 02:51:33
2.8K views23:51
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