Get Mystery Box with random crypto!

Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya — Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy B
टेलीग्राम चैनल का लोगो brahmacharya — Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy
चैनल का पता: @brahmacharya
श्रेणियाँ: मनोविज्ञान , गूढ़ विद्या
भाषा: हिंदी
ग्राहकों: 32.17K
चैनल से विवरण

Brahmacharya ,The Vital Power
ब्रह्मचर्य पालन के लिए इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ा चैनल

#Celibacy
#ब्रह्मचर्य
#meditation
#yoga
#Brahmacharya
#health
#Motivation
#LifeStyle

Ratings & Reviews

3.50

2 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

1

4 stars

0

3 stars

0

2 stars

1

1 stars

0


नवीनतम संदेश 10

2023-03-27 09:07:01
भावभीनी श्रद्धांजलि
1.6K views06:07
ओपन / कमेंट
2023-03-27 09:07:01
1.6K views06:07
ओपन / कमेंट
2023-03-26 07:38:14
क्या यह सत्य नही???

देह भी चोला, वस्त्र भी चोला
यह तथ्य है विचारने जैसा
इस चोले के परिवर्तन पर
क्या है धीरज हारने जैसा



अरे मूर्ख मन!!!
आखिर कब तक तेरी सलाह मान कर
मैं खुद को दूषित करूँगा
नही अब और नही।
तेरा स्वभाव तो नीचे गिरना ही रहा है

यदि अब तुझे विवेक का चाबुक न लगाया है तो तू वश नही होगा।
अतः तुझे नियमित महान संकल्प और उच्च लक्ष्य कि दिशा देता हूँ

एक दिन ये देह रूपी कोठरी छोड़कर जानी पड़ेगी
अब मान जा और ईश्वर के याद में रहते हुए सात्विक और पवित्र जीवन जी । इसी में तेरा भला होगा

अच्छी और सात्विक आदतों के लिये जुड़े

https://t.me/+RCBOO24o4PS1h2mj

शेयर करना न भूले

जय माता दी
पवित्रता ही सुख का आधार
है।
2.1K views04:38
ओपन / कमेंट
2023-03-25 03:10:26 'काम' और 'प्रेम' में अन्तर

इस संसार में एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से मृदुल नाता जोड़ने वाला जो मनोभाव है, उसी का नाम 'प्रेम' है। जैसे पृथ्वी का गुरुत्व आकर्षण चीज़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है, वैसे ही एक व्यक्ति में दूसरे के प्रति जो आकर्षण होता है, उसी को ‘प्रेम' कहा जाता है। प्रेम ऐसी मनोस्थिति है अथवा एक ऐसा अनुभव है जो 'आनन्द' के अति निकट है, नहीं, नहीं, प्रेम तो आनन्द का सहगामी ही है अथवा आनन्द का उत्पादक ही है। यदि संसार में प्रेम न हो तो मनुष्य का जीना ही मुश्किल हो जायेगा क्योंकि तब मनुष्य किस लिए जीए, किसके साथ जीए ? अतः प्रेम जीवन को स्थिर रखने वाला, जीवन का सार है अथवा मनुष्य के मन को भाने वाला एक रस है ।

प्रेम ही का विरोधी मनोभाव घृणा है। घृणा से अनेकानेक अशान्तिकारी तथा दुःखोत्पादक संकल्प-विकल्प और विचार उत्पन्न होते हैं परन्तु प्रेम से मनुष्य के मन में एक-दूसरे के कल्याण की भावना पैदा होती है। प्रेम मनुष्य को दूसरे के लिए अपने सुख को त्यागने में भी सुख की अनुभूति करता है जबकि घृणा से मनुष्य के मन को एक दाह का अनुभव होता है और वह दूसरे के सम्बन्ध अथवा सम्पर्क को ही त्याग देना चाहता है। अतः प्रेम एक स्वाभाविक, आवश्यक और सात्विक गुण है। परमात्मा के प्रति मन में प्रेम का होना ही भक्ति तथा योग है। परमात्मा के प्रेम की एक बूँद प्राप्त करने के लिए भी प्रभु - प्रेमी व्यक्ति अपने जीवन की बाज़ी लगाने को तैयार हो जाता है। प्रेम एक बहुत ही उच्च, बहुत ही पवित्र गुण अथवा अनुभूति है । परन्तु मनुष्य ग़लती से इसके विकृत रूप को भी प्रेम मान बैठता है। वह मोह, काम और लोभ को भी 'प्रेम' समझ बैठता है। अतः वह इनकी दलदल में फँस कर जीवन को दुःखी - बना बैठता है।

ऐसे लेख पढ़ने के लिए टेलीग्राम पर जुड़े

https://t.me/+lyAYPPuFQAgxODU1
1.4K views00:10
ओपन / कमेंट
2023-03-24 07:51:15 काम का दमन

गीता में भगवान कहते हैं नरक के तीन प्रचंड महाद्वार रात दिन खुले हुए हैं।

सबसे पहला काम द्वार, जिसमें कि विषय के गुलाम बलात् खींचे और ठूसे जाते हैं।

दूसरा द्वार क्रोधी पुरुषों के लिए है और

तीसरा द्वार लोभियों के लिए है।

कामी पुरुष जीते जी नरक का अनुभव करने लगता है: वह जीते ही मुर्दा बन जाता है। जगद्गुरु श्री दत्तात्रेय मुनि कहते हैं "जो लोग गन्दगी से सदा भरे हुए मलमूत्र के स्थानों में रमण करते हैं, ऐसे नारकी जीव नरक से क्योंकर तर सकते हैं?

ऐ पुरुषो! तुम चर्ममयी नरक कुण्ड की और क्या ताकते हो? क्या नरक के कीट बनने के लिए? छी! छी! इनसे तुम्हारा कैसे उद्धार होगा? क्या यही स्वर्ग सुख है? जरा तुम्हीं सोचो कि वह स्वर्ग-भोग है या नरक भोग?" इस प्रकार तो शूकर, कूकर और गोबर के कीड़े भी आनन्द मानते हैं। इनसे फिर तुम्हारा दर्जा ऊँचा कैसे? ऊँचे दर्जे के लिए हमें अवश्य अपने आचार-विचार भी ऊँचे ही रखने चाहिए। मनुष्य की देह धारण कर लेने से कोई मनुष्य नहीं हो सकता। विद्या और विनय, तप व शान्ति, कान्ति व दान्ति (लावण्य तथा दमन शक्ति) गुण व अगर्व, धर्म व अदम्भ इत्यादि सद्गुणों से ही मनुष्य 'मनुष्य' बन सकता है और ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।

परन्तु इन सब की जड़ में एकमात्र ब्रह्मचर्य है: यह सत्य बात कभी न भूलो।

कामान्ध मनुष्य तारुण्य के मद से विषय में प्रीति भले ही रखता हो और अपनी मनमानी भले ही करता हो, परन्तु वे ही विषय उसे आगे इस रीति से पटक देते हैं, जैसे पेड़ों को बाढ़ और आँधी ।

ऐसे लेख पढ़ने के लिए टेलीग्राम पर इस लिंक से जुड़े

https://t.me/+lyAYPPuFQAgxODU1
3.5K views04:51
ओपन / कमेंट
2023-03-23 11:00:44
शत शत नमन
4.1K views08:00
ओपन / कमेंट
2023-03-22 14:21:13 The Poem:
माँ कृपा बनाये रखना



तू जानती है माँ
तुझसे बिछड़ के खूब रोता हूँ
भटकता हूँ इधर उधर बस
कहाँ फिर चैन से सोता हूँ?


तेरी  हर उम्मीद पर ही मैं
खरा उतरना चाहता हूँ
बस तेरी  इबादत मैं
दिलो- जान से

करना चाहता हूं...


ज़िंदगी छोड़ने का विचार तो
मुझे भी कभी आता है
पर आत्महत्या से भला
कौन तुंझे
खुश कर पाता है


तू बस प्रसन्न होती
उस पर मैया
जिसे हालातो से
लड़ना आता
है...


जानता हूँ कायरता
तुझे रास नही
आती
जो बस भोग विलास को अपनाएं
तू उनके  पास नही आती
तुझे तो
पवित्रता ही भांति है

जो प्रयास करे बिगड़े बच्चे
तो माँ उन्हें 
तू  ही पावन बनाती है...


माता लीला तेरी निराली है
स्याह कोयले  को तू
हीरा बनाती है
दलदल में भी
प्यारे प्यारे
उत्पल खिलाती है...
  


जिसके मन में बसी हो माँ
वहां माया टिक नही सकती
ऐसा मन रहता है पवित्र सदा
वहां विकारों की ज्वाला
कभी  जल नही सकती...


असम्भव जैसा कुछ
है नही आपके लिये
आस का दीपक माता
हमारा भी जलाए रखना..
कभी बुझ न जाए
आपके ये मासूम चिराग
इन्हें सदा
रोशन बनाए रखना...



छोड़ना नही माँ ,
साथ हमारा कभी
ऐसी कृपा
हम पर बरसाए रखना
खूब करें मानवता की सेवा हम
यही भाव मन मे बसाए रखना..



हे माँ
हमारे आस के मोती को
विश्वास की ज्योति को
सदा ही
जलाए रखना
अपना आशीष  माता हम पर

जीवन भर बनाएं रखना...

जीवन भर बनाए रखना...



           धन्यवाद



शिक्षा: प्यारे साथियों हम भाग्यशाली है, जिन्हें माँ का प्रेम मिला है। प्रत्येक व्यक्ति को यह नही मिल पाता है। अतः अपनी माँ के नाम को रोशन करने के लिये खूब पुरुषार्थ करे। और उनके आशीर्वाद पर सदा विश्वास रखे, वह कभी खाली नही जाता।

विश्वासों फलदायक:
हमारी विजय निश्चित है...

So
Never Give Up
       Keep Going



आप यह कविता एक व्यक्ति को शेयर अवश्य करें। ताकि  PURE vibes
चलती रहे...

                     
                     
4.8K views11:21
ओपन / कमेंट
2023-03-22 04:53:41
नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य

:- 8 मिनट
809 views01:53
ओपन / कमेंट
2023-03-22 04:53:41
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
820 views01:53
ओपन / कमेंट
2023-03-18 06:27:35 ब्रह्मचर्य ही जीवन है

ब्रह्मचर्य के बिना जगत में, नहीं किसीने यश पाया । ब्रह्मचर्य से परशुराम ने इक्कीस बार धरणी जीती | ब्रह्मचर्य से वाल्मीकी ने रच दी रामायण नीकी | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में किसने जीवन रस पाया ?

ब्रह्मचर्य से रामचन्द्र ने सागर पुल बनवाया था | ब्रह्मचर्य से लक्ष्मणजी ने मेघनाद मरवाया था। ब्रह्मचर्य के बिना जगत में सब ही को परवश पाया। ब्रह्मचर्य से महावीर ने सारी लंका जलाई थी। ब्रह्मचर्य से अगंदजी ने अपनी पैज जमाई थी | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में, सबने ही अपयश पाया। ब्रह्मचर्य से आल्हा उदल ने, बावन किले गिराए थे । पृथ्वीराज दिल्लीश्वर को भी, रण में मार भगाए थे | ब्रह्मचर्य के बिना जगत में केवल विष ही विष पाया । ब्रह्मचर्य से भीष्म पितामह, शरशैया पर सोये थे | ब्रह्मचारी वर शिवा वीर से, यवनों के दल रोये थे | ब्रह्मचर्य के रस के भीतर हमने तो षटरस पाया | ब्रह्मचर्य से राममूर्ति ने, छाती पर पत्थर तोड़ा | लोहे की जंजीर तोड़ दी, रोका मोटर का जोड़ा | ब्रह्मचर्य है सरस जगत में बाकी को करकश पाया।

Join
http://t.me/Brahmacharya
1.7K views03:27
ओपन / कमेंट