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मैं वो हूँ, जो मैं नही हूँ, और जो मैं  नही  हूँ, वही तो  मुझे | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy

मैं वो हूँ, जो मैं नही हूँ, और जो मैं  नही  हूँ, वही तो  मुझे  होना  है

It means
You are limitless


एक बार फिर पढ़िए ऊपर लिखी लाइन को। यह आपका असली परिचय है । एक ही बार  में पूरा कैसे समझ  आ सकता है?आप इतने साधारण तो है नही ।
यह पंक्ति आपके जीव
न के विविध पहलुओं से जुड़ी है। यह आपके बहुआयामी व्यक्तित्व से जुड़ी है। क्योंकि आपके अंदर ऐसी अनेक क्षमताएं है, जिन्हें जाग्रत किया जा सकता है। लेकिन अभी वे शान्त है।

यहाँ सिर्फ इसके एक पक्ष से आपको अवगत कराएंगे। वह इसका मूल पक्ष है। वही है आपकी पहचान । आखिर वास्तव में आप क्या है??

मैं वो हूँ, जो मैं नही हूँ

अर्थात हम अपने आप को सिर्फ यह शरीर मान बैठे है। इससे जुड़े सम्बन्ध ही हमे सच्चे लगते है। इसका रूप, रंग आकर्षण हमे भाता है। इसके दुःख अब आपको दुःखी करते है। इसकी इच्छाएं आपको नचाती है। क्योंकि आप खुद को body मान बैठे है। जो की आप है नही
(Distraction भी इसी शरीर से जुड़ी इंद्रियों के विषय होते है

पुछिये खुद से क्या सिर्फ आप शरीर है? जो कि रक्त, मांस आदि का नश्वर पिंड है। क्या इसका अंत होने पर आपका भी अंत हो जाएगा?? नही न, जवाब दीजिये खुद को

आप जानते है,की आपके शरीर का अंत आपका अंत नही है। क्योंकि आप अनन्त है। अर्थात आप अजर, अमर, अविनाशी आत्मा है। जिसे आप स्मरण में नही रखते। और बार बार भूल जाते है। इसी कारण बार बार दुःखी और निराश हो जाते है...

अर्जुन को दुविधा से मुक्त करने के लिये भगवान श्री कृष्ण ने भी भगवद्गीता में अपने इसी सत्य अस्तित्व की पहचान करायी थी। और कहा था,की हे अर्जुन तुम तो आत्मा हो
न कि यह नश्वर शरीर
ये तो एक वस्त्र की भांति आज है, कल नही। अतः किसी की भी म्रत्यु, दुःख, और भय का शोक त्याग कर वीर की भांति कर्म करो।

नेनम छिंदन्ती शस्त्राणि,
नेनम दहति पावकः..
न चेनम क्लेदन्तयापो
न शोषयति मारुतः


अर्थात न तो इसे शस्त्रों से काटा जा सकता है, न पानी मे गलाया जा सकता है, न हवा में सुखाया जा सकता है और न ही आग में जलाया जा सकता है।

यही हमारा सत्य है। की हम यही अविनाशी आत्मा है। जो हर बुराई से मुक्त है। जो हर विकार से स्वतंत्र है। जिसमे असीम सम्भावनायें छिपी हुई है।

अब इसे समझते है,
जो मैं नही हूँ, वही मुझे
होना है


अर्थात अब तक हम अपनी पहचान से अनजान थे। या फिर उसे भुला बैठे थे। की हम भी सर्वशक्तिमान परमात्मा की सन्तान आत्मा ही है। जिसका कभी अंत नही हो सकता। जिसकी क्षमताएं भी अनन्त है।
हम जब भी कुछ करने की ठान लेते है,तो कभी ये नही कहते है,की मुझे अपने शरीर पर विश्वास है। इसलिये मैं यह कर सकता हूँ।
बल्कि सदा यही कहते रहे है की,मैं आत्मविश्वास युक्त हूँ। मैं सबकुछ कर सकता हूँ। यहाँ जो विश्वास है, वह आत्मा की शक्ति पर है, जिसकी कोई सीमा नही। यही वास्तव में हमें आगे बढ़ाता है।
अब इसी स्थिति में रहकर हमे आगे बढ़ना है। हम जीवन के हर क्षेत्र को इसके द्वारा सफल बना सकते है। चाहे जीवन मे आप परेशान हो, या समय थोड़ा मुश्किल भी है
तो यह मत भूलिए की आपका Existence क्या है??
यदि Existence पर यानी हमारे अस्तित्व पर पूर्ण विश्वास है, तो distractions फिर हम पर ज़्यादा हावी नही हो सकेंगे

आपका Existence और Experience दोनो अलग अलग चीज़े है।
आप जब यह समझ जाएंगे। तब आप बहुत समझदारी से निर्णय ले सकेंगे। क्योंकि जो भी आप अनुभव कर रहे है, चाहे मुश्किल हो या पीड़ा । वो सब शरीर से ज़्यादा attach होने के कारण है। लेकिन जब आप खुद को आत्मा रूप में देखकर उस हालात को समझेंगे। तब आप पाएंगे, की मैं हर situation से अलग हूँ।

कोई भी परिस्थिति आपके मन की शांति को प्रभावित नही कर सकती। अर्थात आप सदैव दिव्य, पवित्र और शांत स्वरूप प्रसन्न आत्मा है।

भगवान श्री कृष्ण इसी समझ के कारण महाभारत के इतने विनाशकारी युद्ध मे भी हर पल शान्त और स्थिर रहे थे।अतः आप भी इस सत्य में अब स्थिर होना सीखिये।  हमे भी सदैव इसी सत्य के साथ जीना है। यह पॉजिटिव सन्कल्प दोहराते रहे:-

I am very Divine soul...
I am very Peaceful soul..
I am very Pure soul..

यही है आपकी सत्य पहचान । अब इस पर विश्वास कर आगे बढ़िए।

           धन्यवाद

Note:-
युवा साथियो को distraction की समस्या आजकल ज़्यादा देखने मे आ रही है।
अतः इसी संदर्भ में यह पोस्ट उन सभी
भाई बहनों के लिये लिखा है,जिन्हें सामान्यतः यह समस्या अधिक होती है।
आशा है, की यह आपको थोड़ा सन्तुलित अवश्य करेगी।

धन्यवाद


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