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प्रेम और काम वासना (अपवित्रता ) -अपवित्रता मनुष्य की स्वाभावि | Brahmacharya™ (ब्रह्मचर्य) Celibacy



प्रेम और काम वासना (अपवित्रता )

-अपवित्रता मनुष्य की स्वाभाविक एवं जन्मजात प्रवृति नही है । यह समाजिक जीवन के प्रचलन द्वारा आरोपित है ।

-आज अपवित्रता अर्थात काम विकार के कारण संसार दुखी है । बूढे, बच्चे,  जवान  तथा  हर  नर और नारी इस रोग से ही  पीडित है ।

-समाचार पत्र भरे  पड़े  हैं  ।  दूरदर्शन तथा  इंटरनेट  में बहुत गंदगी भरी  पड़ी  है ।अश्लील साहित्य की बाढ़ सी आई  हुई है ।  चारो तरफ़ हाहाकार मची हुई है । इस रोग को असम्भव मान  कर लोग हिम्मत हार  चुके हैं  ।  ज्ञानी ध्यानी  भी कहते हैं इस विकार को जीतना  मुश्किल है ।

-दुनिया में काम विकार चरम सीमा पर है । यही धर्म ग्लानि का समय है । इसी समय भगवान आ कर जन्म लेते हैं  । तथा  नये सतधर्म   की स्थापना करते हैं !  गायन  है कि  भगवान ने सत्य धर्म की स्थापना की । वह सत्य धर्म और कुछ  नही पवित्रता की  धारणा  ही  सत्य धर्म है ।

दुनिया में असम्भव कोई भी चीज़ नही है । जब तक हमे उस चीज़ का पूरा ज्ञान नही होता तब तक हम उसे असम्भव मानते रहते है ।

-ऐसे ही हमे काम विकार अर्थात पवित्रता का ज्ञान नही है इसलिये हमे काम विकार को  जीतने  में दिक्कत आती है । टेलीग्राम पर ब्रह्मचर्य ग्रुप (@brahmacharya) में आप को इस बात का ज्ञान मिल रहा है । आपकी ट्रेनिंग हो रही है ।

-अपवित्रता क्यों पैदा  होती है ।

-हमारा शरीर कोशिकाओं से बना हुआ है । हमे बल कोशिकाओं से मिलता है ।

-कोशिका  के अन्दर चुम्बकीय बल पैदा  होता है ।

-चुम्कीय  बल कैसे बनता  है इस का पता होना  चाहिये । चुम्बक में रेखाओं के रुप में अणु होते हैं  । इन रेखाओं में चुम्बकीय बल होता है । यह  रेखाये एक दूसरे में साँप  की तरह कुंडली मार कर पड़ी रहती है । जब हम इन में से विद्युत गुजारते है तो ये रेखाये सीधी हो जाती है जिस से उन का  चुम्बकीय बल बाहर असर करने लगता  है । जैसे ही हम विद्युत गुजारनी  बँद करते हैं   चुम्बकीय अणुओ  की रेखाएँ  फ़िर से साँप. की तरह  कुंडली मार लेती है । जिसे से चुम्बकीय बल बनना  बंद हो जाता है ।

-भगवान को याद करते है तो कोशिकाओं में सुप्त पड़ी शक्ति   चुम्बक मि तरह  कार्य करती है, हमे सकूं मिलता है ! अगर ध्यान नही   लगाते हैं तो कोशिकाएं लोहा बन जाती  है शक्तिहीन बन जाती हैं और हमे दुःख होता  है !

अगर जरा भी  मन में  दुख है तो तुरंत राजयोग का अभ्यास करें !

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