*तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।* *तिलगुडलड् | AISP Education
*तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्।*
*तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।।*
*भावार्थः-*
*मकर संक्रांति पर तिल समान हम सभी के मन स्नेहमय हो, गुड़ समान हमारे शब्दों में मिठास हो और जैसे लड्डू में तिल और गुड़ कि प्रबल घनिष्ठता है वैसे हमारे संबंध हो।*
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