ह्या दोन दिवसात ज्याच्याकडे पेशन्स तोच टिकेल .. सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे उद्देश 3.7K viewsज्ञानेश्वर पाटील (हिंगणीकर), 02:54