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. तुलसीदासजी नाना पुराण निगम और आगम से सम्मत बात कहने की प्रति | सुधर्मा Sudharma

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तुलसीदासजी नाना पुराण निगम और आगम से सम्मत बात कहने की प्रतिज्ञा करते हैं। तुलसीदासजी शुद्ध साकार ब्रह्म में मानने वाले हैं। वे परम वैष्णव हैं और श्रीरामानन्दाचार्य के शिष्य श्रीनरहरिदासजी से दीक्षित हैं।

सभी वैष्णवों की तरह तुलसीदासजी भी साकार-ब्रह्मवादी हैं और उनके परम्ब्रह्म धनुर्धारी जानकी पति सच्चिदानन्द आकार वाले श्रीराम हैं।

तुलसी देवताओं के मुखसे कहलवाते हैं

अज ब्यापकमेकमनादि सदा। करुनाकर राम नमामि मुदा।।

राम (सगुन साकार) अजन्मा व्यापक और अनादि और सदा रहने वाले करुणा से आकर को मैं नमन करता हूँ।

सामान्य और प्रचलित मान्यता में श्रीराम विष्णु के अवतार हैं किन्तु तुलसी के राम अवतार नहीं साक्षात् ब्रह्म हैं, अवतारी हैं। तुलसी ब्रह्म को निर्गुण निराकार नहीं मानते। वे समझाते हैं कि सगुण साकार ही व्याप्त रूप से निर्गुण निराकार है।

जो गुन रहित सगुन सोई कैसे
जलु हिम उपल बिलग नही जैसे।

जो निर्गुण है वो सगुण कैसे?
जैसे जल और ओले में या बर्फ में भेद नहीं। दोनों जल ही है ऐसे ही सगुण और निर्गुण एक ही हैं।

जैसे सूर्य तेजःपुञ्ज का घन है वही तेज तो रश्मि रूपसे व्याप्त हो रहा वैसे ब्रह्म सच्चिदानन्द धनुर्धारी नीलवर्ण श्रीराम हैं, किन्तु अपने तेज और गुणों से वही राम सर्वव्यापी हैं।

तुलसी के राम सर्वश्रेष्ठ

सुनु सेवक सुरतरु सुरधेनू । बिधि हरि हर बंदित पद रेनू॥

हे प्रभो! सुनिए, आप सेवकों के लिए कल्पवृक्ष और कामधेनु हैं। आपके चरण की धूल का ब्रह्मा, विष्णु और शिव भी वन्दन करते हैं।

मा सीता ही जगदम्बा
उमा रमा ब्रह्माणि बन्दिता। जगदम्बा संततमनिन्दिता॥5॥

(शिव जी कहते हैं-) जगज्जननी सीता जी, उमा रमा और ब्रह्माणी (सरस्वती) आदि देवियों से सदा वन्दित और सदा अनिन्दित (सर्वगुण सम्पन्न हैं) ॥5॥

श्रीराम के अंश ही त्रिमूर्ति हैं।

सम्भु बिरञ्चि बिष्णु भगवाना । उपजहिं जासु अंस तें नाना ।।

जिनके (श्रीरामके) एक अंश से नाना अनेक ब्रह्मा विष्णु और महेश उत्पन्न होते हैं।

जासु अंस उपजहिं गुनखानी । अगनित रमा उमा ब्रह्माणी ।।
भृकुटि बिलास जासु जग होई।
राम बाम दिसि सीता सोई ।।

जिनके अंश से गुणों की खान अगणित लक्ष्मी, पार्वती और ब्रह्माणी (त्रिदेवों की शक्तियाँ) उत्पन्न होती हैं तथा जिनकी भौंह के इशारे से ही जगत् की रचना हो जाती है, वही (भगवान् की स्वरूपा-शक्ति) सीता राम की बाईं ओर स्थित हैं।

इस प्रकार साकेतलोक निवासी जगदम्बा सीताजी सहित राम ही पूर्ण ब्रह्म, साकार और अनन्तगुणभूषित हैं। निराकार ब्रह्म और त्रिदेव भी इन्हीं सीता-राम के अंश हैं। निराकार ब्रह्म श्रीराम की अव्यक्त रूपसे सर्वव्यापिता का दूसरा नाम है।